शनि कर्मफल के देवता है। कुंडली में शनि ग्रह १२ राशियों में नवग्रहों में सबसे धीमी गति से विचरण करते है। शनि को १२ राशियों का पूर्ण चक्कर लगाने में लगभग ३० वर्षो का समय लगता है। शनि ग्रह का आपकी जन्म राशि से १२वीं राशि में गोचर होने व् जन्म राशि से २ राशि से निकलने की अवधि को शनि की साढ़े साती कहते है। आप साढ़े साती कैलकुलेटर में अपनी जन्म की तिथि से आपकी वर्तमान में शनि साढ़े साती चल रही है अथवा नहीं? ज्ञात कर सकते है। शनि ग्रह एक राशि में २.५ साल रहते है अतः तीन राशियों में शनि ७.५ वर्ष में गोचर करते है इसलिए यह शनि की साढ़े साती कहलाती है। शनि की साढ़े साती के तीन चरण होते है। दूसरा चरण सबसे अधिक प्रभावशाली होता है क्योकि इस चरण में शनि आपकी जन्म राशि में चंद्रमा के साथ युति करते है। साढ़े साती में आपको जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिससे आप परिपक्व और बेहतर जीवन की और अग्रसर हो सके। सामान्यतः यह मान्यता है की साढ़े साती सभी के लिए हानिकारक और इसके प्रभाव में जातक को बुरे परिणाम ही मिलते है जोकि यह गलत धारणा है। साढ़े साती में आपको अच्छे और बुरे दोनों परिणाम मिलते है व् ये परिणाम आपकी कुंडली में शनि की स्थिति और वर्तमान में आपके द्वारा किये कर्मो के आधार पर प्राप्त होते है।किसी जातक के जीवन में शनि की साढ़े साती ३ बार तक आ सकती है यह आपकी आयु पर निर्भर करता है।शनि की साढ़े साती आपके जीवन में कब है जानिए
शनि जब चंद्र राशि से बारहवीं राशि में प्रवेश करते है तो आपकी साढ़े साती का प्रथम चरण शुरू होता है इसी प्रकार शनि के चंद्र राशि में प्रवेश होने पर द्वितीय चरण और आपकी राशि के अगली राशि में शनि गोचर होने पर तीसरा चरण होता है। यदि कुछ ज्योतिष की माने तो साढ़े साती में प्रथम चरण धनु, वृषभ, सिंह राशियों के लिए अधिक कष्टकारी होता है द्वितीय चरण सिंह, मकर, मेष, कर्क, वृश्चिक राशियों के लिए कष्टकारी होता है और तृतीय चरण मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक राशियों के लिए कष्टकारी होता है। साढ़े साती का सही प्रभाव कुंडली की बारीकी से जांचने पर ही प्राप्त होता है। साढ़े साती में भाव व् उनके फल और आपके जन्म के समय ग्रहो की स्थिति व् उनका आपस में संबंध आदि का अध्ययन करके ही किसी निष्कर्ष पर आ सकते है। यदि कुंडली में शनि अच्छे फल देने वाला ग्रह है व् कुंडली के योग आपके अनुकूल है तो शनि की साढ़े साती आपके जीवन में खुशियाँ भर देती है।
साढ़े साती का प्रभाव क्या होता है शनि की साढ़े साती में आपको अपनी महनत के अनुरूप परिणाम नहीं मिलते है इसमें जातक अधिक परिश्रम करता है। आपके सभी कामो में देरी होती चली जाती है। कभी कभी जातक बहुत असहाय महसूस करने लगता है उसे समझ नहीं आता आखिर क्यों? उसके साथ ही यह सब हो रहा है। यह आपके दिमाग को दबा देता है और आपकी सोच और तार्किक क्षमता पर हमला करता है जो किसी के जीवन में अवसाद का कारण बनता है। साढ़े साती का प्रथम चरण में आपके करीबी लोगो से खासकर आपके पिता से आपका मनमुटाव होने लगता है आपको आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है व् आँखो की समस्या भी तंग कर सकती है। बीमारी, बढ़ता कर्जा व् शत्रु भय होता है। द्वितीय चरण में सबसे अधिक प्रभाव होता है इसमे पैसो का नुकसान होना शुरू हो जाता है आपके दोस्तों और रिश्तेदारो से आपकी नहीं बनती है। आपके पार्टनर से आपके झगड़े होने लगते है आप ही के दोस्त आपके लिए कठनाईया पैदा करने लगते है कार्य में आपकी मुश्किले बढ़ जाती है अंतिम चरण में शनि अपने बुरे प्रभाव को कम कर देता है और जातक को उसके कर्मो के आधार पर परिणाम देना प्रारम्भ करता है। यदि कुंडली में शनि प्रतिकूल है तो जीवन में खुशियों की कमी हो जाती है आपकी आर्थिक दशा के साथ-साथ आपके और आपके बच्चो के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है।
शनि के साढ़े साती के महत्वपूर्ण व् पूर्ण कारगर उपाय तो केवल आपकी व्यक्तिगत कुंडली के अध्ययन से ही प्राप्त हो सकते है परन्तु कुछ उपाय और परहेज साढ़े साती में अधिकतर सभी लोगो को कर लेने चाहिए। शनिवार के दिन शनि देव की पूजा-अर्चना से काफी फायदा मिलता है। गाय को हरा चारा व् भोजन अपने हाथो से खिलाना चाहिए। चीटियों को शक्कर और शहद खिलाये। ॐ नमः शिवाय का नियमित जप करे। हनुमान चालीसा को नियमित रूप से पढ़ना चाहिए। जरुरतमंद लोगो को भोजन और चीज़ो का दान देना चाहिए। आपको बुरे कर्मो से बचना चाइए। मंगलवार और शनिवार में शराब का सेवन न करे किसी भी प्रकार के विवाद से बचे व् वाहन को ध्यान से चलाये।
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