सूर्यास्त के पूर्व २ घटी व् पश्चात ४ घटी की अवधि को प्रदोष काल कहा जाता है। १ घटी लगभग २४ मिनट की होती है व् एक अहोरात्र में ६० घटी होती है। आप यहाँ प्रदोष काल कैलकुलेटर की सहायता से अपने स्थान का प्रदोष काल का सही समय ज्ञात कर सकते है।
प्रदोष काल एक पवित्र पहर होता है एक पूर्ण दिन में ८ पहर होते है जिसमे ४ पहर दिन के व् ४ पहर रात्रि के होते है। प्रत्येक जगह सूर्यास्त का समय भिन्न होता है इसलिए प्रदोष काल में भिन्नता पायी जाती है। आप पांचवे पहर को प्रदोष काल की संज्ञा दे सकते है। आप यहाँ प्रदोष काल कैलकुलेटर की सहायता से अपने स्थान का सही समय आसानी से ज्ञात कर सकते है।
प्रदोष काल मे सुषुम्ना नाडी कुछ खुल जाती है अतः इस काल में साधना ध्यान कर सुषुम्ना मे प्राण प्रवाहित करना आसान होता है। प्रदोष काल के समय पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ व् लाभकारी होता है इस समय भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत शुभ होता है। प्रदोष काल में भगवान् शिव के गण भ्रमण करते है और जो भी व्यक्ति शिव जी की पूजा करते है उनकी सूचना शिव जी को देते है। इस समय भोलेनाथ की पूजा से वे अत्यंत प्रसन्न होते है व् मनोकामनाएं पूरी करते है।
प्रत्येक दिन सूर्यास्त के आस-पास कुछ समय प्रदोष काल होता है इस समय पूजा व् धार्मिक कृत्य फलदायी होते है। शिव जी की उपासना के लिए उत्तम समय प्रदोष काल है। मुहूर्त की दृष्टि से देखें तो हिंदू गणना में एक दिन में कुल ३० मुहूर्त होते है जिनमे दिन के १५ व् रात के १५ मुहूर्त होते है १ मुहूर्त २ घटी का है अतः सटीकता से कहे तो दिन के अंतिम और रात्रि के प्रथम मुहूर्त में प्रदोष काल विद्यमान है।
प्रदोष काल निर्धारण के सम्बन्ध में अलग-अलग मत है। ये मत निम्न प्रकार है
प्रदोष काल हमेशा सांयकाल व् उसके पश्चात के समय ही होता है यह कभी दिन के समय नहीं होता। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे की आपको प्रदोष काल की सटीक जानकारी मिले।
आइये जानते है आज प्रदोष काल कितने बजे है। आज भारत (दिल्ली) में वैदिक सूर्यास्त का समय 17:42:13 है अतः हमने प्रदोष काल की अवधि को सूर्यास्त से १ घटी पूर्व और २ घटी पश्चात लिया है इस प्रकार आज दिनांक 15/01/2025 का प्रदोष काल 17 बजकर 18 मिनट से 18 बजकर 30 मिनट तक है।
प्रदोष काल व् प्रदोष तिथि को अधिकांश लोग एक ही समझते है जबकि इनमे स्पष्ट अंतर है। प्रदोष काल का प्रारम्भ नित्य सांयकाल में होता है परन्तु प्रदोष तिथि महीने में केवल दो बार आती है। मास की त्रयोदशी तिथि में पड़ने वाले प्रदोष काल को प्रदोष तिथि होती है व् इसी दिन प्रदोष व्रत रखते है।
प्रदोष व्रत रखने वाला व्यक्ति शिव जी की कृपा से अनेको दोषो से मुक्त होता है। प्रदोष शिव को अति प्रिय है। स्कंद पुराण के अनुसार: त्रयोदश्यां तिथौ सायं प्रदोषः परिकीर्त्तितः । तत्र पूज्यो महादेवो नान्यो देवः फलार्थिभिः ।। त्रयोदशी तिथि में संध्याकाल को प्रदोष कहा गया है इस समय महादेव जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
वार के अनुसार पड़ने वाले प्रदोष व्रत की विशेष महिमा है और इनके नाम भी अलग है अतः इस प्रकार कुल ७ प्रकार के प्रदोष व्रत कहे गए है जिन्हे रखने वाले व्यक्ति को विभिन्न फलो की प्राप्ति होती है। आगामी प्रदोष व्रत माघ मास कृष्ण पक्ष को दिनाँक 27 में सोम प्रदोष व्रत है।
प्रदोष व्रत | वार | फल |
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सोम प्रदोष | सोमवार | आपकी मनोकामना पूर्ण होती है। मन को शांति मिलती है। आपके पापो का शमन होता है व् शत्रु से रक्षा होती है। |
भौम प्रदोष | मंगलवार | जीवन में आर्थिक उन्नति प्राप्त होती है तथा दुःख दरिद्रता का नाश होता है। ऋण से मुक्ति व् स्वास्थय में लाभ मिलता है |
सौम्य प्रदोष | बुधवार | आपकी सर्व मनोकामना सिद्ध होती है। विद्या और संतान का सुख प्राप्त होता है। |
गुरु प्रदोष | गुरूवार | आपकी आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह शत्रु विनाशक है पितृ सम्बंधित समस्या का निवारण होता है। |
भृगु प्रदोष | शुक्रवार | अभीष्ट सिद्धि मिलती है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। |
शनि प्रदोष | शनिवार | संतान कामना पूर्ण होती है। |
भानु प्रदोष | रविवार | आरोग्य की प्राप्ति व् आयु में वृद्धि होती है। |
ये दोनों व्रत अलग है। अनेको लोग त्रयोदशी तिथि को ही प्रदोष व्रत मानते है जबकि ये पूर्ण सत्य नहीं है। जिस दिन सूर्योदय के समय त्रयोदशी तिथि होती है उस दिन को त्रयोदशी व्रत रखते है जबकि प्रदोष काल के समय त्रयोदशी तिथि होने पर उस दिन प्रदोष व्रत माना जाता है। इन व्रत को निर्धारित करने के लिए यह तिथि सुबह व् शाम के समय ही देखि जाती है अन्य पहर में तिथि परिवर्तन से कोई प्रभाव नहीं होता है ।
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