कुंडली मिलान में भकूट दोष चेक करे

भकूट मिलान होने पर 7 अंक प्रदान किये जाते है और भकूट दोष की उपस्थिति होने पर वर-वधु गुण 0 अंक माना जाता है। भकूट दोष विवाह में कई समस्याएं पैदा कर सकता है व् भकूट दोष का परिहार या निवारण न होने की स्थिति में वैवाहिक जीवन कष्टकारी सिद्ध होता है। भकूट का अर्थ कुंडली में चन्द्रमा की किसी राशि में उपस्थिति से है इसे ही चंद्र राशि कहते है। यदि वर और वधु की कुंडलियों की चंद्रमा की राशि एक दूसरे से गिनने पर एक विशेष अंक संयोजन बनाती है तो भकूट दोष का निर्माण होता है। आप इस भकूट दोष कैलकुलेटर से एक क्लिक में पूरी तरह सही भकूट मिलान कर सकते है। गुण मिलान की प्रकिया में तीन प्रकार के भकूट दोष बताये गए है। वर की चंद्र राशि को वधु की चंद्र राशि तक गिनने पर यदि 5 व् वधु की चंद्र राशि को वर चंद्र राशि तक गिनने पर 9 अंक प्राप्त हो तो यह नवम-पंचम भकूट दोष होता है जैसे पुरुष जातक का चंद्रमा मेष राशि में है व् स्त्री जातक की राशि सिंह है तो मेष से सिंह राशि पांच अंक पर आती है व् सिंह से मेष नोवै पर है इस प्रकार नवम-पंचम भकूट दोष बन रहा है। ऐसे ही 2-12 और 6-8 का संख्या सयोजन क्रमश द्वी-द्वादश भकूट दोष, षडाष्टक भकूट दोष कहलाता है। कुंडली मिलान में ग्रहो की कुछ विशेष स्थितिया होने पर भकूट दोष का परिहार स्वतः ही हो जाता है अतः भकूट दोष होने पर भी भकूट दोष नहीं माना जाता है परन्तु गुण मिलान में भकूट अंक शून्य ही दिए जाते है जिसके बारे में विस्तार से आगे दिया गया है।





भकूट मिलान में वर-वधु की राशियों के 12 संयोजन होते है जिनमे ६ संख्या संयोजन भकूट दोष का निर्माण करते है। 6 संख्या संयोजन ऐसे है जिनमे भकूट दोष का निर्माण नहीं होता है और 7 में से 7 गुण मिलान अंक मिलते है। जैसे यदि किसी पुरुष जातक की चंद्रमा राशि मेष है व् स्त्री जातक की चंद्रमा राशि कर्क है तो इस भकूट मिलान में भकूट दोष नहीं बनता है और पूर्णांक दिए जाते है। हमने भकूट मिलान अंक तालिका दी है यदि आपको चंद्र की राशि ज्ञात है तो आसानी से यहाँ भकूट दोष पता कर सकते है। भकूट दोष की उपस्थित होने में शून्य अंक प्रदान होते है और अन्य स्थिति में 7 अंक प्राप्त होते है।

चंद्रमा राशि मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह कन्या तुला वृश्चिक धनु मकर कुम्भ मीन
मेष 7 0 7 7 0 0 7 0 0 7 7 0
वृषभ 0 7 0 7 7 0 0 7 0 0 7 7
मिथुन 7 0 7 0 7 7 0 0 7 0 0 7
कर्क 7 7 0 7 0 7 7 0 0 7 0 0
सिंह 0 7 7 0 7 0 7 7 0 0 7 0
कन्या 0 0 7 7 0 7 0 7 7 0 0 7
तुला 7 0 0 7 7 0 7 0 7 7 0 0
वृश्चिक 0 7 0 0 7 7 0 7 0 7 7 0
धनु 0 0 7 0 0 7 7 0 7 0 7 7
मकर 7 0 0 7 0 0 7 7 0 7 0 7
कुम्भ 7 7 0 0 7 0 0 7 7 0 7 0
मीन 0 7 7 0 0 7 0 0 7 7 0 7
भकूट दोष तीन प्रकार के होते है
द्वी-द्वादश (2-12 or 12-2) भकूट दोष
नवम-पंचम (9-5 or 5-9) भकूट दोष
षडाष्टक (6-8 or 8-6) भकूट दोष

द्वी-द्वादश भकूट दोष की उपस्थिति होने पर शादी के बाद जीवन में आर्थिक समस्याओ का उदय होता है। नवम-पंचम भकूट दोष होने पर दांपत्य जीवन में बच्चो से सम्बंधित समस्या पैदा होती है। षडाष्टक भकूट दोष की उपस्थिति अत्यंत भयावह है इसकी उपस्थिति वर-वधु के जीवन में असामंजस्य, स्वास्थ्य संबधित समस्याएँ, तलाक, मृत्यु तक की स्थिति पैदा हो सकती है। भकूट दोष का कुंडली में होने मात्र से इस बात का अनुमान नहीं लगा सकते की विवाह बन रहा है या नहीं ज्योतिष द्वारा कुण्डिलयो का गहन अध्ययन के पश्चात ही ज्ञात हो सकता है की भकूट दोष कितना प्रभावशाली है।

भकूट दोष के परिहार

भकूट दोष में कुछ परिहार इस प्रकार है इसमें भकूट दोष होने पर भी भकूट दोष का बुरा प्रभाव वैवाहिक जीवन में नहीं पड़ता है। भकूट दोष के परिहार हो जाने पर भी गुण मिलान में अंक शून्य ही दिए जाते है।
  • यदि पुरुष की चंद्र राशि का स्वामी और स्त्री की चंद्र राशि का स्वामी सामान है तो गुण मिलान के समय भकूट दोष का प्रभाव नगण्य होता है और भकूट दोष का परिहार हो जाता है। उदाहरण के लिए पुरुष जातक की राशि मेष है व् स्त्री जातक की राशि वृश्चिक है अतः दोनों ही जातको की चंद्र राशि का स्वामी मंगल है जोकि सामान है इस कारण इनका भकूट दोष का परिहार हो गया है।
  • यदि पुरुष और महिला की चंद्र राशि के स्वामियों का एक दूसरे से मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध है , तो भकूट दोष शून्य माना जाता है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि दूसरी स्थिति को पूरा करने के लिए, दोनों चंद्र राशियों के स्वामी को एक दूसरे के प्रति मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध होना चाहिए। उदाहरण के लिए, सिंह-कन्या संयोजन के मामले में, 2-12 भकूट दोष इस नियम के अनुसार शून्य नहीं माना जाता है। यह इस तथ्य के कारण है कि बुध सूर्य के प्रति मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रखते है लेकिन सूर्य बुध के प्रति उदासीन है। इसलिए इस मामले में भकूट दोष प्रभावी है।

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